Friday, December 14, 2012

वीरता


वीरता

राष्ट्रभावना और समर्पण जिनके रग रग में अंकित,
जिनके साहस और वीरता से है राष्ट्र सुमन सुरभित.
ऐसे अभिमानी वीरों से दुश्मन बहुत डरा करते,
क्योंकी,
प्राण न्योछावर करने में वो देर नहीं किया करते.

देशभक्ति का ज्वार सदा जिनके मन में लहराता है,
मातृभूमि के लिए सदा मस्तक जिनका झुक जाता है.
सीमायें सरहद की जिनके मन में लक्ष्मण रेखा सी अंकित,
समय सदा उन बलिदानों को उन्नत स्वर में गाता है.

देख तिरंगा जिनके मन में नई तरंगें उठती हैं,
दुश्मन की हर चाल भी जिनकी हिम्मत से ही बुझती है,
ऐसे जांबाजों की हरदम ऋणी रहेगी यह माटी,
जिनके बलिदानी करतब से देश की इज़्ज़त बढ़ती है.

हमनें क्यों ऐसे भुला दिया सत्तावन के बलिदानों को,
हमने क्यों ऐसे भुला दिया कारगिल के वीर जवानों को,
वक्त सदा यह प्रश्न हमारे सम्मुख रखता जायेगा, कि
हमने क्यों ऐसे भुला दिया संसद के लहू लुहानों को.

है समय यही जब सुख वैभव से थोड़ा सा बाहर आयें,
राजनीति के जीव जन्तुओं को भी दर्पण दिखलायें.
कि, केवल मेजों पर चर्चा से राष्ट्र नहीं रक्षित होते,
अपनी युवा पीढ़ी को हम यही बात अब समझाएं.
कि,

राष्ट्रभावना और समर्पण जिनके रग रग में अंकित,
जिनके साहस और वीरता से है राष्ट्र सुमन सुरभित.
ऐसे अभिमानी वीरों से दुश्मन बहुत डरा करते,
क्योंकी,
प्राण न्योछावर करने में वो देर नहीं किया करते.
प्राण न्योछावर करने में वो देर नहीं किया करते.


© सुशील मिश्र.
१४/१२/२०१२



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