Monday, September 9, 2013

उदासी का सबब


उदासी का सबब

पत्ते उड़े, आँसू गिरे, दिलों में ये खराश है,
थमा सफर, रुकी हवा, तभी तो मन उदास है.

ज़रा सी बात पे अभी, तुम्हारे कल को कल किया,
ज़रा ज़मीं क्या घट गई, चमन को ही मसल दिया.
क्यों छोटी छोटी बात में भी, आग ही मिसाल है,
थमा सफर रुकी हवा तभी तो मन उदास है.

किसी ने उसको कह दिया कि तुम बहुत खराब हो,
उसने भी उलट कहा, कि तुम बदमिजाज़ हो.
खोया संयम, टूटा धैर्य, आज का विकास है,
थमा सफर रुकी हवा तभी तो मन उदास है.

ज़रा सी भूल चूक में भी दहशतों के काफ़िले,
सफर पे जाके देखो तो बस रंजिशों के ज़लज़ले.
खुद को खुदा ही आंकता इन्सां नहीं लिबास है,
थमा सफर रुकी हवा तभी तो मन उदास है.

परिंदे की चोट से कोई परिंदा कभी मरा नहीं,
पर आदमी की चोट से कोई आदमी बचा नहीं.
खून से सना हुआ क्यों आपका ईतिहास है,
थमा सफर रुकी हवा तभी तो मन उदास है.

रुको ज़रा दो घड़ी शांति से विचार लो,
खुली हवा खिला सुमन ज़िन्दगी संवार लो.
विश्व को शांति की तुम्हीं से तो आस है,
थमा सफर, रुकी हवा, तभी तो मन उदास है.

पत्ते उड़े, आँसू गिरे, दिलों में ये खराश है,
थमा सफर, रुकी हवा, तभी तो मन उदास है.

© सुशील मिश्र.

  09/09/2013

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