Tuesday, February 4, 2014

माँ शारदे

माँ शारदे

माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे,
बुद्धी कला विज्ञान का वरदान दे माँ शारदे.
माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे,
संगीत सा सुरभित रहूँ वह ज्ञान दे माँ शारदे. llमाँ शारदेll

चहुँ ओर काली रात है अज्ञान का विस्तार है,
संहार की इस मानसिकता का बड़ा ही भार है.
काली घटा को छांट कर तू ज्ञान का आकार दे,
संस्कृति सदा उन्नत रहे इसको नया विस्तार दे. llमाँ शारदेll

राज ही अब नीतियों को क्यों रहा दुत्कार है,
मीठे वचन आतुर नयन का क्यों नहीं विस्तार है.
इस राजनीति को नया अब नीतियों का सार दे,
उल्लसित संसार दे अब उल्लसित संसार दे. llमाँ शारदेll

लोकतंत्र में यहाँ अब तंत्र का ही लोप है,
भ्रष्टता और निम्नता का हो रहा विस्फोट है.
दीन जन का हित सधे वो तंत्र दे माँ शारदे,
राष्ट्र उन्नति कर सके वो मंत्र दे माँ शारदे. llमाँ शारदेll

© सुशील मिश्र
04/02/1014

    (वसंत पंचमी )

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